द फॉलोअप डेस्क
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पांडुरंग विट्ठल केवने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना न्यायिक प्रक्रिया का 11 साल तक बार-बार दुरुपयोग करने के कारण लगाया गया। केवने, जो भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के बर्खास्त कर्मचारी हैं, ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देने के लिए कई याचिकाएं और समीक्षा आवेदन दायर किए। हालांकि, उनके सभी दावे हर स्तर पर खारिज कर दिए गए। सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस व्यवहार को “निरर्थक मुकदमेबाजी” का उदाहरण बताया, जो न्यायिक प्रणाली पर बोझ डालता है और वास्तविक मामलों में न्याय में देरी करता है।
क्या है पूरा मामला
केवने की नौकरी का इतिहास: केवने 1977 से BSNL में परीक्षक के रूप में काम कर रहे थे। उन्हें 14 जुलाई 2000 को विभागीय जांच के बाद नौकरी से हटा दिया गया।
आरोप: लंबे समय तक बिना अनुमति अनुपस्थित रहना और अपनी पत्नी के नाम से निजी व्यवसाय चलाना।
बचाव: बीमारी का दावा किया, लेकिन मेडिकल जांच में फिट पाए गए।
बर्खास्तगी के खिलाफ प्रयास:
केवने की बर्खास्तगी को औद्योगिक न्यायाधिकरण और बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी सही ठहराया।
उन्होंने बार-बार नई याचिकाएं दायर कीं, जो इस प्रकार हैं -
2007: बॉम्बे हाई कोर्ट में रिट याचिका, खारिज।
2010: सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP), खारिज।
2015: नई समीक्षा याचिका, खारिज।
2021: देरी के लिए माफी मांगते हुए एक और याचिका (4088 दिनों की देरी), खारिज।